बेगुनाह पर NSA लगाने पर MP हाईकोर्ट की सख्ती: शहडोल कलेक्टर पर ₹2 लाख जुर्माना, कहा– मौलिक अधिकारों का उल्लंघन; 25 नवंबर को कोर्ट में पेश होने के आदेश

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने शहडोल कलेक्टर पर 2 लाख रुपए का जुर्माना लगाया है। कलेक्टर डॉ. केदार सिंह ने एक बेगुनाह युवक पर NSA (राष्ट्रीय सुरक्षा कानून) के तहत कार्रवाई का आदेश जारी किया था। बेगुनाह युवक को एक साल से ज्यादा समय जेल में गुजारना पड़ा।

कलेक्टर डॉ. केदार सिंह ने युवक पर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत कार्रवाई का आदेश जारी किया था।

शहडोल में रहने वाले पीड़ित सुशांत बैस के पिता ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। जस्टिस विवेक अग्रवाल और जस्टिस एके सिंह की बेंच ने कहा- कलेक्टर को यह जुर्माना अपनी जेब से देना होगा।

कोर्ट ने माना मौलिक अधिकारों का उल्लंघन शहडोल एसपी ने सितंबर 2024 में नीरजकांत द्विवेदी नाम के अपराधी पर NSA लगाने की सिफारिश की थी। कलेक्टर ने नीरज की जगह सुशांत बैस के नाम का आदेश जारी कर दिया था। इसके बाद पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था।

कोर्ट ने पीड़ित के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन मानते हुए कलेक्टर डॉ. केदार सिंह पर जुर्माना लगाया। साथ ही गलत दस्तावेज, गलत जानकारी और उसके सपोर्ट में गलत हलफनामा पेश करने पर कंटेम्प्ट की कार्रवाई के आदेश दिए हैं। 25 नवंबर को कलेक्टर को पेश होने के निर्देश दिए।

पिता ने याचिका लगाई, कार्रवाई को गलत बताया शहडोल जिले के ब्यौहारी के समन गांव में रहने वाले हीरा मणि बैस की याचिका में वकील ने कोर्ट को बताया कि जेल में रखने के लिए बैड इंटेंशन से NSA पास किया गया था। इसके लिए एक ही दिन में प्रक्रिया पूरी कर दी गई। मामले पर एडीजे कोर्ट ने सुशांत को जमानत दे दी।

सुशांत के जेल से बाहर निकलते ही उस पर NSA की कार्रवाई कर दी गई। इसके बाद हर तीन माह में सुशांत का NSA बढ़ाते गए। एक साल तक जेल में रहने के बाद सितंबर 2025 में वह जेल से बाहर आया।

कोर्ट ने कहा- बाबू ऑर्डर लिख रहे हैं, आप साइन कर देते हैं कोर्ट ने यह भी पाया कि एडिशनल चीफ सेक्रटरी ने जो हलफनामा दिया है, उसमें कहा गया कि यह टाइपिंग एरर है, जो कि उनके क्लर्क राकेश तिवारी की गलती से हुआ है। उसके खिलाफ शोकॉज नोटिस जारी करते हुए विभागीय जांच शुरू कर दी गई है।

एडिशनल चीफ सेक्रटरी की इस बात पर हाईकोर्ट ने यह पाया कि यह तो और भी गंभीर बात है कि बाबू ऑर्डर लिख रहे हैं और आप साइन कर देते हैं। अब जब बात आप पर आ गई तो एक क्लर्क को बलि का बकरा बना रहे हैं। इस पूरे मामले पर हाईकोर्ट ने चीफ सेक्रेटरी को आदेशित किया है कि एसीएस गृह विभाग और कलेक्टर शहडोल के खिलाफ अपने स्तर पर विभागीय जांच करें।

 

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