27 सितंबर को महाकाल मंदिर के गेट नंबर 4 के सामने दीवार ढहने से 2 लोगों की जान चली गई थी।
मध्यप्रदेश पुलिस का एक निलंबन आदेश इन दिनों सोशल मीडिया पर वायरल है। इसे लेकर यूजर्स पुलिस को ट्रोल करने के साथ कई तरह के कमेंट्स कर रहे हैं।
पुलिस महकमे के सूत्र बताते हैं कि खुद डीजीपी को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग कर प्रदेश के सभी एसपी को नसीहत देनी पड़ी है। डीजीपी ने कहा, ‘इस तरह के आदेश निकालने से पुलिस फोर्स का मनोबल गिरता है। त्योहार आने वाले हैं तो कैसे स्थितियां संभालेंगे?’
मामला उज्जैन से जुड़ा है। जहां 27 सितंबर को भारी बारिश के कारण दीवार गिर गई थी और दो लोगों की मौत हो गई थी। हादसे के बाद उज्जैन एसपी प्रदीप शर्मा ने महाकाल थाने के टीआई अजय वर्मा और बीट प्रभारी एसआई भरत सिंह निगवाल को निलंबित कर दिया। आदेश में निलंबन का जो कारण लिखा है, उसी की वजह से एमपी पुलिस की किरकिरी हो रही है।
आदेश क्या है और कैसे सोशल मीडिया यूजर्स पुलिस को ट्रोल कर रहे हैं, ये जानने से पहले जानिए हादसे की टाइम लाइन…
पानी की निकासी नहीं थी, प्रेशर से गिरी दीवार उज्जैन में महाकाल लोक फेज-2 के तहत महाराजवाड़ा स्कूल हेरिटेज बिल्डिंग का संरक्षण किया जाना है। स्मार्ट सिटी ने इसे हेरिटेज होटल बनाकर मध्यप्रदेश पर्यटन विभाग को सौंप दिया है। महाराजवाड़ा ऊंचाई पर है और महाकाल मंदिर की तरफ का हिस्सा ढलान पर है इसलिए यहां कुछ साल पहले रिटेनिंग वॉल बनाई गई थी।
हेरिटेज होटल का महाकाल लोक के साथ संविलियन किया जाना था इसलिए रिटेनिंग वॉल के पहले एक और दीवार बननी थी। बाद में रिटेनिंग वॉल को ढहाना था। यह प्रोजेक्ट उज्जैन विकास प्राधिकरण (यूडीए) के पास था लेकिन स्टे होने की वजह से काम रुका था।
15 दिन पहले पर्यटन विभाग ने होटल शुरू करने से पहले रिटेनिंग वॉल के पीछे दीवार बनाना शुरू कर दी। दोनों दीवारों में 20 फीट का फासला है। दो दिन से हो रही बारिश से दोनों दीवारों के बीच पानी को रास्ता नहीं मिला और 27 सितंबर को रिटेनिंग वॉल का ऊपरी हिस्सा ढह गया।
दीवार के मलबे की चपेट में 4 लोग आ गए। इनमें से दो की मौत हो गई।
टीआई-एसआई समेत 5 लोगों को सस्पेंड किया गया उज्जैन प्रदेश के सीएम डॉ. मोहन यादव का गृह जिला है। हादसा महाकाल लोक-2 के पास हुआ था। इस कारण अधिकारी तुरंत एक्शन में आ गए। 27 सितंबर को एसपी प्रदीप शर्मा ने दीवार गिरने का सबसे बड़ा जिम्मेदार बताते हुए महाकाल थाने के टीआई अजय वर्मा और बीट प्रभारी एसआई भरत सिंह निगवाल को निलंबित कर दिया।
इसके अगले दिन कलेक्टर नीरज सिंह ने नगर निगम के उप यंत्री गोपाल बोयत, गैंग प्रभारी मनीष बाली और महाकाल मंदिर के सुरक्षा अधिकारी प्लाटून कमांडर दिलीप बामनिया को निलंबित कर दिया।
टीआई अजय वर्मा के निलंबन के पीछे का कारण और भी दिलचस्प है। दरअसल, हादसे के बाद मलबा हटाने के लिए जेसीबी के पहुंचने में देर हो गई। इसे लेकर टीआई की अपने वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी से नोक-झोंक भी हुई थी।
आदेश में लिखा-दीवार के नीचे अवैध रूप से बैठे लोगों की मृत्यु हुई एसपी प्रदीप शर्मा ने जो निलंबन आदेश जारी किया, उसमें लिखा है, ’27 सितंबर की रात्रि में थाना महाकाल क्षेत्र अंतर्गत महाराजवाड़ा स्कूल के पास दीवार गिरने और इसके नीचे अवैध रूप से बैठे लोगों के दबकर मृत्यु होने की घटना के संबंध में थाना प्रभारी अजय कुमार वर्मा और बीट प्रभारी एसआई भरत सिंह निगवाल को तत्काल प्रभाव से निलंबित किया जाता है।’
निलंबन आदेश में बताए गए कारण के चलते एमपी पुलिस देशभर में सोशल मीडिया पर ट्रोल हो रही है। यूजर्स अलग-अलग कमेंट कर इस निलंबन के कारण पर सवाल उठा रहे हैं।
ये वो आदेश है, जिसकी वजह से एमपी पुलिस की सोशल मीडिया पर किरकिरी हुई है।
लिखा-टीआई और बीट प्रभारी दोनों खराब इंजीनियर निलंबन की सूचना देते हुए उज्जैन एसपी प्रदीप शर्मा ने ये जानकारी जैसे ही अपने एक्स हैंडल पर पोस्ट की, लोगों ने सवाल करने शुरू कर दिए। यूजर्स ने एसपी से पूछा- दीवार गिरने की घटना में पुलिसकर्मियों की क्या गलती है?
कई लोगों ने मजाकिया अंदाज में लिखा कि टीआई और बीट प्रभारी दोनों खराब इंजीनियर थे। इस वजह से दीवार गिर गई। पढ़िए, कुछ यूजर्स के सोशल मीडिया कमेंट्स…
प्रीति वर्मा: महाराजवाड़ा स्कूल की दीवार गिरने की घटना में तैनात पुलिसकर्मियों की क्या गलती है श्रीमान जी कृपया यह बताएं?
राकेश मिश्रा: वाह, क्या सराहनीय कार्य किया है टीआई और बीट प्रभारी दोनों खराब इंजीनियर-मिस्त्री थे।
YT 47: अगर दीवार गिरी है तो इसमें पुलिस के साथ विधायक, नगर पालिका के जिम्मेदारों की भी गलती है। फिर उनके खिलाफ कोई कार्रवाई क्यों नहीं की गई?
भागीरथ विश्नोई: हद है, दीवार पकड़कर पुलिस बैठी रहेगी क्या? कैसे आप आईपीएस बन गए।
उज्जैन एसपी प्रदीप शर्मा की पोस्ट पर एक यूजर ने ये कमेंट किया।
अजय सिंह: बड़ी मछली छोटी मछली को खा जाती है। यह नेचर है, यही क्रियाशील होता है।
डीपी सिंह: बीट प्रभारी ने कौन सा सिविल इंजीनियरिंग का कोर्स किया था। गजब हालत है। बहुत अच्छा किया आपने, सराहना होनी चाहिए चारों तरफ।
भैरव नाथ: साहब निलंबित करने की कार्यवाही तो बहुत छोटी है, सीधा बर्खास्त करो आप। ऐसे कैसे दीवार गिर सकती है। वहां की थाना पुलिस के 2-4 जवानों की ड्यूटी लगाना थी, जो दीवार पकड़ के खड़े रहते। घोर लापरवाही है ये तो।
एक यूजर ने ये फोटो पोस्ट करते हुए लिखा- कौन सी दुनिया से आए हो महाराज। इस हिसाब से तो पुलिस को कंस्ट्रक्शन कम्पनी खोलनी चाहिए।
एक पेंशन विहीन राज्य कर्मचारी: क्या जबरदस्त कार्यवाही की गई…. पुलिस पर, अब से पुलिस बीट में दीवारों को पकड़कर बैठेगी।
यशवीर यादव: क्या बात है साहब, अंधेर नगरी चौपट राजा। गलती कोई करे, भरे कोई। इसमें गलती आपकी भी है। जब दीवार बन रही थी, तब आपने निरीक्षण क्यों नहीं किया।
कट्टर हिंदू: हम पुलिसकर्मियों के लिए मृत्यु दंड की मांग करते हैं। जो 5 लाख सैलरी पाते हैं, एक दीवार बनने के पैसे भी न दे पाए। सरकार से मांग करते हैं कि एसपी महोदय को राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित कर सीधा डीजीपी बनाया जाए। क्योंकि जब दीवार गिर रही थी, तब दरोगा और सिपाही ने कंधा क्यों नहीं लगाया।
दीवार पकड़े पुलिसकर्मियों के फोटो भी सोशल मीडिया पर पोस्ट किए गए।
ट्रोल होने के बाद डीजीपी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग कर दी हिदायत उज्जैन एसपी के आदेश जारी करने के बाद जब सोशल मीडिया पर पुलिस की किरकिरी हुई तो डीजीपी सुधीर सक्सेना एक्शन में आए। उन्होंने 30 सितंबर को प्रदेश के सभी एसपी से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से बात की।
इस वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में शामिल एक अधिकारी ने बताया- डीजीपी ने बिना नाम लिए सख्त हिदायत दी कि कोई भी एसपी आदेश निकालने से पहले उसे पढ़ लिया करे। इस तरह का आदेश न जारी करें, जिससे पुलिसकर्मियों का मनोबल गिरता हो। आगे त्योहारों का दौर आने वाला है। ऐसे में कानून-व्यवस्था कैसे बनाकर रखेंगे?