मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री और मंत्रिमंडल के आचरण में उतर जाना प्रभु राम…
आखिरकार प्राण प्रतिष्ठा के करीब डेढ़ माह बाद मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव मंत्रिमंडल सहित अयोध्या में बाल स्वरूप श्रीराम के शरणागत हो गए। मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने कहा प्रभु श्रीराम के दर्शन कई जन्मों के पुण्य-प्रताप का प्रसाद होता है। अयोध्या धाम में निर्मित नव्य-भव्य मंदिर में भगवान श्रीराम के दर्शन कर जीवन धन्य हो गया। ऐसा लगा जैसे प्रभु साक्षात अपने रूप में विराजमान हैं।भगवान श्रीराम सभी पर कृपा करें। सनातन धर्म की ध्वजा लहराती रहे।
यह तो हो गई डॉ. मोहन यादव के मन की बात। मुख्यमंत्री के नाते वह मध्यप्रदेश की पौने नौ करोड़ आबादी के प्रतिनिधि हैं। मोहन का जीवन धन्य हो गया यानि यह अपेक्षा की जानी चाहिए कि प्रदेश की संपूर्ण आबादी का जीवन धन्य करने में मध्यप्रदेश सरकार कोई कसर नहीं छोड़ेगी। राम का नाम आता है, तब रामराज्य स्वत: ही संज्ञान में आ जाता है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव और मंत्रिमंडल ने भी जब भगवान राम के दर्शन किए होंगे, तब उन सबके मन में भी रामराज्य और सुशासन जैसे शब्द आ रहे होंगे। और उन्हीं सब के कंधों पर मध्यप्रदेश में रामराज्य और सुशासन लाने की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी है। और मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद ही सुशासन लाने के प्रति संकल्पित हैं। वाल्मीकि रामायण में बताया गया है कि रामायण काल में रामराज्य कैसा था? रामराज्य में किसी को कभी कोई भय नहीं था कि चोरी हो जायेगी, लूट हो जायेगी। प्रत्येक नागरिक बहुत-बहुत साल जीता था, रामराज्य में अल्पमृत्यु नहीं होती थी। पिता अपने पुत्रों को कई सालों तक जीते हुए देखता था, अगली पीढ़ियों को भी देखता था। कहीं कोई डर नहीं, कहीं कोई शोक नहीं था। रामराज्य में स्वास्थ्य व्यवस्था बहुत अच्छी थी, जिससे लोगों का जीवन बहुत लंबा और निरोग रहता था। मतलब कि रामराज्य के दौरान नागरिकों का मानसिक स्वास्थ्य भी इतना अच्छा होता था। प्रकृति के संरक्षण का वर्णन भी बाल्मीकि रामायण में मिलता है। अगर आप पहाड़ के क्षेत्र में पेड़ काटेंगे तो बाढ़ आयेगी, नीचे के क्षेत्रों में पेड़ काटेंगे तो सूखा पड़ेगा। आज तो हम अपने लालच के लिए प्रकृति का रोज़ अनादर करते हैं, लेकिन रामराज्य में इसका आदर था। इसीलिए ठीक समय से वर्षा होती थी। हमेशा फल फूल से हवा सुवासित रहती थी। बहुत संक्षेप में गौर किया जाए तो रामराज्य में प्रकृति और पर्यावरण संरक्षण आदर्श स्थिति में था। आज हम जब देवास से इंदौर बायपास पर छलनी पहाड़ के अंगभंग देखते हैं तो मन द्रवित हो जाता है और कलेजा फट जाता है। बात तो पर्यावरण संरक्षण की होती है, पर खनन माफिया ने अति कर दी है। सुशासन में इस तरफ गौर करने की सख्त जरूरत है। भय, चोरी और लूट खत्म हो जाए तो मध्यप्रदेश में सुशासन की चर्चा पूरी दुनिया करने लगेगी। और स्वास्थ्य व्यवस्था आदर्श के करीब पहुंच गई तब शायद दु:ख का नामोनिशान मिट जाएगा। हालांकि यह सब सोचना आसान है, पर सुशासन का यह लक्ष्य पाना उतना ही कठिन है। रामराज्य में अर्थव्यवस्था बहुत अच्छी थी। शिक्षा प्रणाली बहुत अच्छी थी।
मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने कहा कि अयोध्या यात्रा भगवान श्रीराम के प्रति आदर का प्रकटीकरण है। तो आदर का मतलब भी यहां राम के आचरण पर अमल कर उनके प्रति आदर का प्रकटीकरण है। और मध्यप्रदेश में सुशासन का नया इतिहास रचकर यह साबित करने का अवसर है कि हम राम के हैं और राम हमारे हैं। वास्तव में तभी जीवन धन्य होगा। प्रभु राम आपसे भी यही विनती है कि मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री और मंत्रिमंडल के आचरण में उतर जाना…।
कौशल किशोर चतुर्वेदी
कौशल किशोर चतुर्वेदी मध्यप्रदेश के वरिष्ठ पत्रकार हैं। प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में पिछले ढ़ाई दशक से सक्रिय हैं। दो पुस्तकों “द बिगेस्ट अचीवर शिवराज” और काव्य संग्रह “जीवन राग” के लेखक हैं। स्तंभकार के बतौर अपनी विशेष पहचान बनाई है।
वर्तमान में भोपाल और इंदौर से प्रकाशित दैनिक समाचार पत्र “एलएन स्टार” में कार्यकारी संपादक हैं। इससे पहले इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में एसीएन भारत न्यूज चैनल में स्टेट हेड, स्वराज एक्सप्रेस नेशनल न्यूज चैनल में मध्यप्रदेश संवाददाता, ईटीवी मध्यप्रदेश-छत्तीसगढ में संवाददाता रह चुके हैं। प्रिंट मीडिया में दैनिक समाचार पत्र राजस्थान पत्रिका में राजनैतिक एवं प्रशासनिक संवाददाता, भास्कर में प्रशासनिक संवाददाता, दैनिक जागरण में संवाददाता, लोकमत समाचार में इंदौर ब्यूरो चीफ दायित्वों का निर्वहन कर चुके हैं। नई दुनिया, नवभारत, चौथा संसार सहित अन्य अखबारों के लिए स्वतंत्र पत्रकार के तौर पर कार्य कर चुके हैं।