साइबर ठग रोजाना डिजिटल अरेस्ट कर लोगों को अपनी ठगी का शिकार बना रहे हैं. ताजा मामला फरीदाबाद का है, जहां 87 साल के रिटायर्ड बैंक अधिकारी पर मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप लगाकर साइबर ठगों ने उन्हें 60 लाख रुपए की चपत लगा दी. साइबर ठगों ने खुद को मुंबई पुलिस और ट्राई (टेलीकॉम रेगुलॉरिटी अथॉरिटी ऑफ इंडिया) का अधिकारी बनकर जेल भेजने की धमकी देकर उन्हें डराया और पांच दिनों तक डिजिटल अरेस्ट करके उनके अलग-अलग खातों से करीब 60 लाख रुपए ठग लिए.
साइबर ठगों ने रिटायर्ड बैंक अधिकारी की पूरी सम्पत्ति जब्त करने की भी धमकी दी थी.ठगी का एहसास होने पर बुजुर्ग ने साइबर पुलिस को सूचना दी. शिकायत के आधार पर पुलिस ने केस दर्ज कर लिया है लेकिन ठगों का सुराग नहीं लगा है.
सेक्टर 9 निवासी 87 साल के बुजुर्ग सेंट्रल बैंक आफ इंडिया मुंबई में मैनेजर के पद पर कार्यरत थे.करीब 27 साल पहले वह रिटायर होकर फरीदाबाद के सेक्टर नौ में रहते हैं. पुलिस को दी शिकायत में उन्होंने कहा है कि उनके पास दो मोबाइल नंबर हैं.एक मोबाइल नंबर नगर कॉलोनी अंधेरी मुंबई के पते पर था.लेकिन अब वह नंबर किसी और मिल चुका है.
उन्होंने बताया कि गत 17 दिसंबर 2024 को उन्हें एक अनजान व्यक्ति का फोन आया.उसने कहा था कि वह ट्राई के अधिकारी हैं.उसने मुंबई पुलिस के सब-इंस्पेक्टर राहुल से बात करने के लिए कहा.इसके बाद आकांक्षा अग्रवाल नामक महिला से बात कराई.पीड़ित ने पुलिस को दी शिकायत में बताया कि आकांक्षा अग्रवाल नामक महिला ने फोन कर कहा कि आपका नाम मनी लॉन्ड्रिंग मामले में शामिल है.ऐसे में आपको गिरफ्तार कर जेल भेजना पड़ेगा.यहीं नहीं उक्त दोनों फर्जी पुलिस अधिकारियों ने बुजुर्ग की सारी संपत्ति जब्त करने की भी धमकी दी.जांच के नाम पर ठगों ने पीड़ित की एफडी और सेविंग अकाउंट की सारी जानकारी ले ली और जांच पूरी होने तक किसी से बात न करने के लिए भी धमकाया.
पीड़ित ने बताया कि डर के कारण उन्होंने किसी से न तो संपर्क किया और न ही किसी से बात की.साइबर ठगों ने उन्हें डिजिटल अरेस्ट करके सेविंग अकाउंट और एफडी से आरटीजीएस के माध्यम से करीब 60 लाख रुपए उनसे अलग अलग बैंक अकाउंट में ट्रांसफर करा लिए.ठगों ने भरोसा दिया था कि जांच के बाद आपकी पूरी रकम वापस कर दी जाएगी.उन्होंने बताया कि पैसा आईडीएफसी फर्स्ट बैंक, वराछा शाखा, इंडसइंड बैंक शाखा से निकाला गया.