राजनीतिक विद्रूपताओं को केंद्र में रखकर लिखे गए तीखे प्रभावी व्यंग्य – घनश्याम मैथिल ‘अमृत’-‘मोटे पतरे सबई तो बिकाऊ हैं’ व्यंग्य संग्रह का विमोचन
आज यानी 14 जून 2025 का दिन हमारे जीवन में खास बन गया है। मेरे पहले व्यंग्य संग्रह ‘मोटे पतरे सबई तो बिकाऊ हैं’ का विमोचन दुष्यंत संग्रहालय में हुआ। घनश्याम मैथिल ‘अमृत’ ने इसकी समीक्षा करते हुए कहा कि व्यंग्य वर्तमान समय में निःसंदेह साहित्य की एक लोकप्रिय विधा के रूप में लेखकों और पाठकों के बीच पूरे प्रभाव के साथ उपस्थित है।
राजनीति सदैव हमारे राष्ट्र और समाज के केंद्र में रही है और आम आदमी लगभग हाशिए पर। राजनीतिक व्यवस्था से ही हमारी पूरी सामाजिक और राष्ट्रीय व्यवस्था और तमाम रीतियां नीतियों तय होती हैं। हालांकि ऐसा नहीं है की केवल राजनीति ही इसके लिए पूर्णतः उत्तरदायी है इसके लिए विधायिका के साथ ही न्यायपालिका, कार्यपालिका और खबरपालिका भी मामले में कम पड़ते नज़र नहीं आते। फिर भी सध्य प्रकाशित व्यंग्य संग्रह में पेशे से मूलतः पत्रकार और विचारों से व्यंग्यकार कौशल किशोर चतुर्वेदी ने राजनीति को ही केंद्र में रखकर अपने व्यंग्य बाण चलाए हैं। क्योंकि जब राजनीति में ही शुचिता नहीं रहेगी और राजनीति में ही दोहरा चरित्र होगा। और राजनेता आमजन को केवल मतदाता मानकर उसके साथ छल करेंगे तो ऐसे में हमारे लोकतंत्र का आधार आमजन और उसकी मत-शक्ति का क्या होगा, जब हमारे लोकतंत्र के चार स्तंभों में से एक मुख्य स्तंभ ही दरक जाएगा तो शेष स्तंभ भी इसकी चपेट में आकर स्वतः कमजोर हो जाएंगे। इन सारी बातों विषयों और चिंताओं को ध्यान में रखते हुए वरिष्ठ पत्रकार और व्यंग्यकार चतुर्वेदी जी ने ‘मोटे पतरे सबई तो बिकाऊ हैं’ निबंध संग्रह को हमारे सम्मुख प्रस्तुत किया है।
समीक्षक के रूप में घनश्याम मैथिल ‘अमृत’ ने ‘मोटे पतरे सबई तो बिकाऊ हैं’ व्यंग्य संग्रह पर यह विचार व्यक्त किए। लेखिका निरुपमा खरे, लेखक कौशल किशोर चतुर्वेदी एवं पुरुषोत्तम तिवारी की पुस्तकों का लोकार्पण समारोह दुष्यंत संग्रहालय में 14 जून 2025 को संपन्न हुआ। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में राज्य निर्वाचन आयुक्त, अक्षरा के संपादक मनोज श्रीवास्तव ने व्यंग्य संग्रह की प्रशंसा की। तो कथाकार और बनमाली सृजन पीठ के अध्यक्ष मुकेश वर्मा ने बुंदेली बोली को समाहित करते हुए लिखे गए इस राजनैतिक व्यंग्य संग्रह को प्रभावी रचना बताया।
घनश्याम मैथिल ने बताया कि इस निबंध संग्रह में वर्तमान राजनीति को केंद्र में रखकर 23 व्यंग्य निबंध संग्रहीत किए हैं जो कौशल किशोर चतुर्वेदी ने समय-समय पर अखबारों के लिए लिखे हैं। समसामयिक तत्कालीन विषयों पर पत्र पत्रिकाओं में व्यंग्य स्तंभ लिखने की हमारे यहां समृद्ध परंपरा रही है। व्यंग्य पुरोधा अग्रज हरिशंकर परसाई, शरद जोशी से लेकर वर्तमान समय में चर्चित व्यंग्यकार पद्मश्री डॉ ज्ञान चतुर्वेदी सहित अन्य व्यंग्यकार नियमित रूप से अखबारों के लिए व्यंग्य निबंध लिखते रहे हैं। इस परंपरा को ही कौशल जी ने कुशलता से आगे बढ़ाया है। उनके इन व्यंग्य निबंधों में कहीं ना कहीं उनका पत्रकार सदैव मौजूद रहा है और इस दुनिया के आदि यानी प्रथम पत्रकार कहे जाने वाले नारद मुनि इन व्यंग्य निबंधों के केंद्र में सूत्रधार के रूप में हर जगह उपस्थित रहे हैं। जब नारद होंगे तो सहज ही उनके साथ हमारे अन्य पौराणिक पात्र भी होंगे जिनके माध्यम से उन्होंने आज की दूषित होती राजनैतिक व्यवस्थाओं पर पर सहज सरल आम बोलचाल की भाषा में कड़े प्रहार किये हैं।
कौशल जी के लिए यह व्यंग्य अपने मन की घुटन शांत करने का तरीका हैं, वे इन व्यंग्यों के माध्यम से तत्कालीन राजनैतिक परिस्थितियों पर एक दृष्टि डालते हुए एक तंज कसते हैं,एक मीठी सी चिकोटी काटते हैं। इन व्यंग्य रचनाओं की अपनी भूमिका में सुपरिचित व्यंग्यकार शांतिलाल जैन ने व्यंग्य के साथ ही इन्हें जरूरी राजनैतिक टिप्पणियां कहा है। वहीं वरिष्ठ साहित्यकार कांता रॉय ने ‘ रक्तबीज की तरह फैलते दुराग्रहों पर प्रहार करती व्यंग्य रचनाएं ‘ शीर्षक से इन सभी व्यंग्य रचनाओं की गंभीर पड़ताल की है। उन्होंने विविध विषयों पर अपनी कलम चलाते हुए उन निबंधों को लिखा जिन घटनाओं को उन्होंने स्वयं निकट से देखा है यानि यह यथार्थ की पृष्ठभूमि से उपजे व्यंग्य हैं। यह वे घटनाएं हैं जिनसे कहीं न कहीं उनका मन आहत हुआ हैं। उनके प्रायः विषय तत्कालीन राजनीति पर केंद्रित हैं और उनके व्यंग्य समसामयिक है उनकी भाषा में जो बुंदेली टच है वो उन्हें जीवंत बनाता है। एक सहज आदमी की सहज अभिव्यक्ति को पाठक सहजता से पढ़ते हुए इनका आनंद लेगा, इसका मुझे पूर्ण विश्वास है। यानि राजनीतिक विद्रूपताओं को केंद्र में रखकर लिखे गए तीखे प्रभावी व्यंग्य निश्चित ही पाठकों की उम्मीदों पर खरा उतरेंगे…।
तो मुझे भी अपने इस पहले व्यंग्य संग्रह से काफी अपेक्षा है। घनश्याम मैथिल अमृत के साथ ही मुकेश वर्मा, मनोज श्रीवास्तव, ज्योति रघुवंशी और कांता राय की राय से सरोकार रखते हुए मेरा भी दावा है की यह व्यंग्य संग्रह किसी भी पाठक को निराश नहीं करेगा…।
कौशल किशोर चतुर्वेदी
कौशल किशोर चतुर्वेदी मध्यप्रदेश के वरिष्ठ पत्रकार हैं। प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में पिछले ढ़ाई दशक से सक्रिय हैं। पांच पुस्तकों व्यंग्य संग्रह “मोटे पतरे सबई तो बिकाऊ हैं”, पुस्तक “द बिगेस्ट अचीवर शिवराज”, ” सबका कमल” और काव्य संग्रह “जीवन राग” के लेखक हैं। वहीं काव्य संग्रह “अष्टछाप के अर्वाचीन कवि” में एक कवि के रूप में शामिल हैं। इन्होंने स्तंभकार के बतौर अपनी विशेष पहचान बनाई है।
वर्तमान में भोपाल और इंदौर से प्रकाशित दैनिक समाचार पत्र “एलएन स्टार” में कार्यकारी संपादक हैं। इससे पहले इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में एसीएन भारत न्यूज चैनल में स्टेट हेड, स्वराज एक्सप्रेस नेशनल न्यूज चैनल में मध्यप्रदेश संवाददाता, ईटीवी मध्यप्रदेश-छत्तीसगढ में संवाददाता रह चुके हैं। प्रिंट मीडिया में दैनिक समाचार पत्र राजस्थान पत्रिका में राजनैतिक एवं प्रशासनिक संवाददाता, भास्कर में प्रशासनिक संवाददाता, दैनिक जागरण में संवाददाता, लोकमत समाचार में इंदौर ब्यूरो चीफ दायित्वों का निर्वहन कर चुके हैं। नई दुनिया, नवभारत, चौथा संसार सहित अन्य अखबारों के लिए स्वतंत्र पत्रकार के तौर पर कार्य कर चुके हैं।