शांति राग वाली मुफ्ती के परिवार ने बढाई थी मुसीबत… कौशल किशोर चतुर्वेदी

शांति राग वाली मुफ्ती के परिवार ने बढाई थी मुसीबत…

पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की प्रमुख और जम्मू कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से शांति की अपील की है। कश्मीर का इतिहास साक्षी है कि मुफ्ती परिवार की वजह से भारत को पांच आतंकियों को रिहा करना पड़ा था। उस विमान अपहरण में भारत सरकार के फैसले पर आज भी सवालिया निशान लगाए जाते हैं। उस विमान अपहरण में भी पाकिस्तान की भूमिका और नापाक हरकतों ने भारत की मुसीबत ही बढाई थी। ऐसे में भारत का ऑपरेशन सिंदूर अब निर्णायक तौर पाकिस्तान को स्थायी सबक सिखा दे, यह उम्मीद अब हर भारतवासी को है।
पहले मेहबूबा मुफ्ती की बात समझ लें। मेहबूबा ने आइना दिखाया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दुनिया को कहते हैं कि युद्ध मत करो। यूक्रेन युद्ध को लेकर पीएम मोदी ने कहा था कि यह युग युद्ध का नहीं, डायलॉग का है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने तब कहा था कि पॉलिटिकल डायलॉग की जरूरत है। पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी जी को फोन उठाकर शहबाज शरीफ यानि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री से बात करनी चाहिए। उन्होंने दोनों देशों की लीडरशिप की शांति और बातचीत की अपील की और कहा कि खून बहना बंद होना चाहिए।
महबूबा मुफ्ती ने युद्ध तुरंत रोकने की अपील करते हुए कहा कि पुलवामा हमले के बाद बालाकोट हुआ था। उससे क्या हुआ? उन्होंने कहा कि भारत ने कहा है कि हमने नौ आतंकी अड्डों को तबाह कर दिया है, मकसद पूरा हुआ। पाकिस्तान भी भारत के फाइटर जेट मार गिराने, पूंछ में सेना के मुख्यालय को तबाह करने के दावे कर रहा है। चलो आज इसी बहाने मुफ्ती परिवार और आतंकी घटना को याद करते हैं।
वर्ष 1989 की बात है। वीपी सिंह को प्रधानमंत्री बने अभी 6 दिन हुए थे। उन्होंने अपनी सरकार में पहली बार एक मुस्लिम नेता मुफ्ती मोहम्मद सईद को गृहमंत्री बनाया था। 8 दिसंबर 1989 को दोपहर 3:45 बजे राजधानी दिल्ली के नॉर्थ ब्लॉक में मुफ्ती अपने कार्यकाल की पहली बैठक कर रहे थे। ठीक इसी वक्त दिल्ली से करीब 800 किलोमीटर दूर श्रीनगर में उनकी बेटी रूबैया सईद अपनी ड्यूटी के बाद हॉस्पिटल से घर जाने के लिए निकलीं। रूबैया एमबीबीएस करने के बाद इस हॉस्पिटल में इंटर्नशिप कर रही थीं। हॉस्पिटल से निकलकर रूबैया एक ट्रांजिट वैन में सवार हुईं। ये वैन लाल चौक से श्रीनगर के बाहरी इलाके नौगाम की तरफ जा रही थी। रूबैया जैसे ही चानपूरा चौक के पास पहुंचीं, वैन में सवार तीन अन्य लोगों ने गनपॉइंट पर वैन को रोक लिया। उन लोगों ने रूबैया सईद को वैन से नीचे उतारकर सड़क के दूसरी तरफ खड़ी नीले रंग की मारुति कार में बैठा लिया। उसके बाद वह मारुति कार कहां गई, किसी को नहीं पता।
2 घंटे बाद यानी शाम करीब 6 बजे जेकेएलएफ के जावेद मीर ने एक लोकल अखबार को फोन करके जानकारी दी कि हमने भारत के गृहमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद की बेटी रूबैया सईद का अपहरण कर लिया है। जेकेएलएफ की तरफ से रूबैया को छोड़ने के बदले 20 आतंकियों को छोड़ने की मांग की गई।
13 दिसंबर की दोपहर, यानी 5 दिन, तक सरकार और अपहरणकर्ताओं के बीच बातचीत चलती रही। आखिरकार सरकार ने 5 आतंकियों को रिहा कर दिया। बदले में कुछ ही घंटे बाद लगभग 7.30 बजे रूबैया को सोनवर में मध्यस्थ जस्टिस मोतीलाल भट्ट के घर सुरक्षित पहुंचा दिया गया। रात 12 बजे विशेष विमान से रूबैया दिल्ली पहुंचीं, तो मुफ्ती मोहम्मद सईद भावुक हो गए। उन्होंने तब कहा था, ‘एक पिता के तौर पर मैं खुश हूं, लेकिन एक नेता के तौर पर मैं समझता हूं कि ऐसा नहीं होना चाहिए था।’
तो शांति का राग अलापने वाली मेहबूबा मुफ्ती के परिवार के बेटी के बदले पांच आतंकी छोड़ने के मामले में फैसले को न कल तर्कसंगत माना गया था, न आज तर्कसंगत माना जा रहा है और न ही कल तर्कसंगत ठहराया जा सकेगा…।

कौशल किशोर चतुर्वेदी

कौशल किशोर चतुर्वेदी मध्यप्रदेश के वरिष्ठ पत्रकार हैं। प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में पिछले ढ़ाई दशक से सक्रिय हैं। दो पुस्तकों “द बिगेस्ट अचीवर शिवराज” और काव्य संग्रह “जीवन राग” के लेखक हैं। स्तंभकार के बतौर अपनी विशेष पहचान बनाई है।

वर्तमान में भोपाल और इंदौर से प्रकाशित दैनिक समाचार पत्र “एलएन स्टार” में कार्यकारी संपादक हैं। इससे पहले इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में एसीएन भारत न्यूज चैनल में स्टेट हेड, स्वराज एक्सप्रेस नेशनल न्यूज चैनल में मध्यप्रदेश‌ संवाददाता, ईटीवी मध्यप्रदेश-छत्तीसगढ में संवाददाता रह चुके हैं। प्रिंट मीडिया में दैनिक समाचार पत्र राजस्थान पत्रिका में राजनैतिक एवं प्रशासनिक संवाददाता, भास्कर में प्रशासनिक संवाददाता, दैनिक जागरण में संवाददाता, लोकमत समाचार में इंदौर ब्यूरो चीफ दायित्वों का निर्वहन कर चुके हैं। नई दुनिया, नवभारत, चौथा संसार सहित अन्य अखबारों के लिए स्वतंत्र पत्रकार के तौर पर कार्य कर चुके हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *