इंदौर में ट्रैफिक मित्र अभियान की शुरुआत, 1000 से अधिक लोग हर सप्ताह चौराहों पर संभालेंगे ट्रैफिक

इंदौर। मध्य प्रदेश की आर्थिक राजधानी इंदौर में ट्रैफिक मित्र अभियान चलाया जाएगा। शहर के 1000 से ज्यादा स्टूडेंट, डॉक्टर, वकील, समाजसेवी, पत्रकार हर शनिवार रविवार अलग-अलग चौराहा पर ट्रैफिक संभालेंगे। यह अभियान 5 अगस्त से शुरू होगा। इस कैंपेन की शुरुआत के लिए मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव या केंद्रीय मंत्री आ सकते हैं।

दरअसल, इंदौर शहर के बिगड़ते ट्रैफिक को संभालने के लिए महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने ट्रैफिक मित्र अभियान का मैप तैयार कर लिया है। इस अभियान में 1000 से ज्यादा स्टूडेंट, डॉक्टर, वकील, समाजसेवी और पत्रकार हर शनिवार रविवार हर चौराहे पर ट्रैफिक संभालेंगे। 5 अगस्त को इस अभियान की शुरुआत इंदौर के बास्केटबॉल शुरू की जाएगी। इस अभियान की शुरुआत से पहले ट्रैफिक के नियमों का कैसे पालन करवाना है, ट्रैफिक विशेषज्ञ आरटीओ विभाग, ट्रैफिक पुलिस, नगर निगम, जिला प्रशासन की टीम मौजूद रहेगी।

इस अभियान को सुचारू रूप से चलने के लिए इंदौर कलेक्टर आशीष सिंह की भी अहम भूमिका रहने वाली है। पिछले दिनों इंदौर कलेक्टर आशीष सिंह ने मैदान में उतरकर सड़कों पर लोगों से चर्चा कर इंदौर के ट्रैफिक को लेकर जानकारी ली और कैसे ट्रैफिक में सुधार करें, इसको लेकर लोगों की राय भी जानी। ट्रैफिक मित्र अभियान में शामिल होने के लिए मुख्यमंत्री मोहन यादव और केंद्रीय मंत्रियों को भी न्योता भेजने की तैयारी की जा रही है।

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ट्रैफिक मित्र अभियान के तहत चलाए जाएंगे पांच अलग-अलग कैंपेन

ट्रैफिक मित्र अभियान… इसके तहत 500 से 1000 डॉक्टर, वकील, स्टूडेंट समाजसेवी सड़कों पर ट्रैफिक संभालेंगे। इसके साथ ही लोगों को ट्रैफिक की जानकारी भी देंगे।

ट्रैफिक टॉक अभियान… इसके तहत स्कूलों में सेशन लगाए जाएंगे कॉलेज में सेशन लगाए जाएंगे। 1 साल में 48 सेशन पूरे किए जाएंगे। हर सेशन में पुलिस विभाग, आरटीओ विभाग, ट्रैफिक एक्सपर्ट और महापौर भी शामिल रहेंगे। इसके साथ ही स्टूडेंट और समाजसेवियों की इस सेशन के माध्यम से इंदौर के ट्रैफिक को कैसे बेहतर बनाया जाए जानकारी ली जाएगी और उसे पर विचार भी होगा।

ट्रैफिक मीटिंग अभियान… इसके तहत ट्रैफिक मीटिंग के माध्यम से 1 साल में 24 मीटिंग होगी। हर महीने दो मीटिंग आयोजित की जाएगी, जो की कपड़ा संगठन, मिल एसोसिएशन, लोहा संगठन जैसे अलग-अलग संगठनों के साथ ट्रैफिक को लेकर चर्चा में सहयोग और ट्रैफिक सुधार के लिए कैसे वे इसमें मदद कर सकते हैं, इस पर मीटिंग की जाएगी। जिसमें एक्सपर्ट मौजूद रहेंगे…

नो हेलमेट नो एंट्री अभियान… इसकी शुरुआत सबसे पहले सरकारी कर्मचारियों से की जाएगी। यदि कर्मचारी हेलमेट नहीं लगता है तो उन्हें उनके दफ्तर में एंट्री नहीं दी जाएगी। जिसको लेकर प्रशासन से चर्चा भी की जा रही है। इसके साथ ही प्राइवेट बड़ी कंपनियों के साथ भी चर्चा की जा रही है कि अगर उनके कर्मचारी हेलमेट लगाकर दफ्तर नहीं आता है तो उसकी दफ्तर में एंट्री नहीं होगी। आने वाले समय में अगर सारी जानकारी के बावजूद भी कोई कर्मचारी हेलमेट नहीं लगता है तो उसका वेतन काटने का भी प्लान आने वाले समय में किया जा सकता है।

ओथ कैंपिंग… इसके माध्यम से सामाजिक राजनीतिक और धार्मिक आयोजनों में 10 मिनट का समय ट्रैफिक सुधार पर दिया जाएगा। इसके साथ ही ट्रैफिक की जानकारी भी लोगों को दी जाएगी और ट्रैफिक के नियमों का पालन करने के लिए शपथ दिलाई जाएगी और बताया जाएगा कि ट्रैफिक के नियम का पालन करने से किस तरह हुए अपनी और अपने परिवार की सुरक्षा कर सकते हैं।

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