इंदौर के तुकोगंज इलाके में एसिड पीकर जान देने वाले निगम के सीनियर ठेकेदार की मौत की जांच में एक नया नाम सामने आया है। इस पूरे मामले में नगर निगम से कुछ महीने पहले ही नगर निगम की ओर से वीआरएस देकर रिटायर किए गए एक अफसर की संदिग्ध भूमिका का खुलासा हुआ है।
बताया जाता है कि उक्त अफसर के पास एक न्यू ब्रांड कार है, जिसकी EMI मृतक के अकाउंट से जा रही थी। इसी अफसर ने अमरजीत को शहर के सौंदर्गीकरण का काम हाथ में ले चुकी एक कंपनी से पेटी कॉण्ट्रेक्ट पर दिलाया था। इस काम के बदले निगम अफसर ने मोटा कमीशन भी लिया था।
मौत से दो दिन पहले रिटायर्ड अफसर और ठेकेदार के बीच नगर निगम के टेंडर में उलझे पैसों को लेकर मीटिंग भी हुई थी। लेकिन अफसर ने हाथ खड़े कर दिए थे। घटना की सुबह भी सीनियर ठेकेदार ने कॉल किया। लेकिन रिटायर्ड अफसर ने मामले से पल्ला झाड़ लिया। इसके चलते ठेकेदार ने डिप्रेशन में सुसाइड कर लिया।
कमीशन के लालच में करोड़ों रुपए के ठेकों में उलझाया
नगर निगम के सीनियर ठेकेदार अमरजीत सिंह भाटिया निवासी रेसकोर्स रोड की मौत के मामले में तुकोगंज पुलिस ने परिवार से प्रारंभिक पूछताछ की है। परिवार ने बताया कि किस तरह से अफसर ने अमरजीत सिंह से कमीशन के लालच में करोड़ों रुपए के ठेकों में इन्वेस्टमेंट करवा दिया। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि परिवार के बयान अभी नहीं हुए है। उनके मुताबिक बयान होने के बाद ही आगे की कार्रवाई की जाएगी।
कार मांगी तो धमकाया मृतक के नगर निगम में करोड़ों रुपए के बिल क्लीयरेंस के लिए अटके हुए थे। ऐसे में एक न्यू कार भी नगर निगम के अधिकारी ने रख ली। अमरजीत ने कई बार कार वापस लौटाने की गुहार लगाई। लेकिन अफसर ने कार लौटाने से मना कर दिया और बिल क्लियर नहीं होने देने की धमकी दी। अमरजीत की मौत के बाद पुलिस को कार की जानकारी लगी। जिसके बाद निगम के अधिकारियों ने परिवार को कार वापस दिलाने का आश्वासन दिया है।
दो बड़े ठेकों में पेटी ठेकेदार बन उलझ गए अमरजीत
अमरजीत को शहर में हुए दो बड़े आयोजन के ठेकों में पेटी ठेकेदार बनकर काम करना महंगा पड़ गया। इन आयोजनों के लिए पेवर ब्लॉक, न्यू वॉल पेंटिंग, पाइप, लोहे की जाली और चैम्बर्स के सौंदर्गीकरण का ठेका एक निजी कंपनी को मिला था।
आरोपी नगर निगम अधिकारी ने इस कंपनी से एप्रोच की। जिसके बाद यह काम पेटी ठेकेदार (ठेका लेने वाली बड़ी कंपनियां लोकल ठेकेदारों को हायर करती हैं) के रूप में अमरजीत सिंह भाटिया के पास आया। कमीशन के लालच में अफसर ने भाटिया को यह काम लेने के लिए तैयार किया था।
इस काम का बिल 5 करोड़ रुपए से ज्यादा का बना था। इसकी जानकारी नगर निगम की महिला अधिकारी को लगी, तो उन्होंने उक्त अधिकारी को बुला कर पूछताछ की। बाद में मामला बढ़ने के पहले ही उसे वीआरएस दे दिया गया। इसके बाद अमरजीत सिंह भाटिया का पेमेंट होल्ड कर दिया गया।
दो दिन पहले हुई थी मीटिंग, आखिरी बार भी किया कॉल
अमरजीत की जंजीर वाला चौराहे पर लकड़ी की टाल है। मौत से दो दिन पहले रिटायर अफसर ने वहां आकर अमरजीत से मीटिंग की थी। इस दौरान कम्प्यूटर रूम में एक कर्मचारी भी मौजूद था। इस दौरान निगम के अफसर ने कह दिया था कि उस पर खुद इस मामले में जांच बैठी है। वह रुपए दिलवाने में असमर्थ है।
वहीं उसने यह भी कहा था कि ऊपर के अफसरों से बात कर अगर रूपया ले सकते हो तो ले लो। उसकी भी निगम में सुनवाई नहीं हो रही। इस पर अमरजीत ने अफसर से कहा कि इतने बड़े अमाउंट के चक्कर में वह मर जाएगा।
लेकिन अफसर ने इस मामले में हाथ खड़े कर दिए। इसके बाद सोमवार को भी एसिड पीने के पहले अमरजीत ने उक्त अधिकारी को कॉल किया। लेकिन उन्होंने वही जवाब देकर पल्ला झाड़ लिया।