एमपी। फर्जीवाड़े के आरोप में EOW ने एलएन इंफ्रा के खिलाफ जबलपुर में दर्ज किया केस, कंपनी के डायरेक्टर के अलावा PWD के पूर्व ईएनसी भी आरोपी

 

BHOPAL. फर्जीवाड़े के सहारे टेंडर हासिल करने वाली कंपनी एलएन मालवीय इंफ्रा प्रोजेक्ट की जांच अब ईओडब्ल्यू जबलपुर कर रहा है। ईओडब्ल्यू ने कंपनी के डायरेक्टर एलएनन मालवीय के अलावा जिन 4 अधिकारियों को आरोपी बनाया है वे सभी लोक निर्माण विभाग की क्लाइंट इवॉल्युशन कमेटी के सदस्य थे। यह समिति लोक निर्माण विभाग के ईएनसी आरके मेहरा के आदेश पर बनाई गई थी। ऐसे में कंपनी को टेंडर देने की अनुशंसा करने वाली कमेटी बनाने वाले ईएनसी की भूमिका भी सवालों के घेरे में है। हालांकि, ईओडब्ल्यू ने मेहरा को केस में शामिल नहीं किया है, लेकिन कंपनी से उनके संपर्क किसी से छिपे नहीं हैं।

EOW ने एलएन इंफ्रा पर जबलपुर में किया केस दर्ज

ईओडब्ल्यू यानी आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ ने पिछले सप्ताह ही भोपाल की कंसल्टेंट कंपनी एलएन इंफ्रा प्रोजेक्ट्स प्रालि के विरुद्ध जबलपुर में केस दर्ज किया है। कंपनी के डायरेक्टर एलएन मालवीय के अलावा पीडब्ल्यूडी के पूर्व ईएनसी नरेन्द्र कुमार को आरोपी बनाया गया है। नरेन्द्र कुमार पीडब्ल्यूडी से सेवानिवृत्त ईएनसी हैं और टेंडर प्रक्रिया के दौरान वे एनडीबी यानी नेशनल डेव्लपमेंट बैंक के प्रोजेक्टस देख रहे थे। वे पीडब्ल्यूडी की क्लाइंट इवाल्युशन कमेटी के अध्यक्ष भी थे। केस के दूसरे आरोपी आरएन मिश्रा वित्तीय सलाहकार हैं। वहीं एनडीबी प्रोजेक्ट्स के एसई एमपी सिंह और एई सजल उपाध्याय हैं।

क्लाइंट इवाल्युशन कमेटी ने आंखें मूंदकर दिया काम

ईएनसी आरके मेहरा ने एलएन मालवीय इंफ्रा प्रोजेक्ट्स को टेंडर दिलाने के लिए ही इन अधिकारियों को सीईसी में शामिल किया था। जब कंपनी ने टेंडर में हिस्सा लिया तो इसी कमेटी ने दस्तावेजों की पड़ताल की और दूसरी कंपनी की योग्यता और एलएन मालवीय इंफ्रा की कमियों को अनेदखा कर उसे पुल और सड़क निर्माण के कामों में कंसल्टेंट बना दिया। यदि कमेटी ने दस्तावेजों की सही पड़ताल की होती तो न तो इस कंपनी को ठेका मिलता न ही 13.86 करोड़ की जगह 26 करोड़ रुपए का भुगतान किया जाता। यानी पीडब्लूडी को होने वाला दोहरा नुकसान भी बच जाता।

सीईसी के सदस्य आरोपी, ईएनसी की जिम्मेदारी तय नहीं

लोक निर्माण विभाग के इंजीनियर इन चीफ की भूमिका टेंडर प्रक्रिया और भुगतान के मामले में सबसे अहम होती है। नेशनल डेव्लपमेंट बैंक जिन प्रोजेक्ट्स के लिए फंडिंग करती है उनकी निगरानी सीधे ईएनसी करते हैं। इसी वजह से फर्मों की पड़ताल के लिए भी ईएनसी द्वारा क्लाइंट इवाल्युशन कमेटी बनाई जाती है। एलएन मालवीय इंफ्रा के टेंडर की पड़ताल के लिए भी ईएनसी आरके मेहरा ने कमेटी बनाई थी। इस कमेटी में रखे जाने वाले अधिकारी भी मेहरा के इशारे पर काम कर रहे थे। ऐसे में सवाल इसी को लेकर है। जब टेंडर देने में हुई गड़बड़ी के लिए चारों अफसरों को आरोपी बनाया गया फिर सरकार द्वारा ईएनसी पर जिम्मेदारी तय क्यों नहीं की गई। पीडब्ल्यूडी को चूना लगाने वाले अधिकारी को क्यों बचाया जा रहा है।

कौन देगा इन सवालों के जवाब

1. पीडब्ल्यूडी के अफसरों को टेंडर प्रक्रिया की हर बारीकी की जानकारी होती है। एक-एक दस्तावेज उनकी आंखों के सामने से गुजरता है। फिर इंडियन रोड कांग्रेस की मेंबरशिप रसीदों के फर्जीवाड़े को क्यों नहीं पकड़ पाए।

2. कंपनी ने टेंडर हासिल करने के बाद एक्सपर्ट पैनल को बदला तब कमेटी या ईएनसी के स्तर पर कोई कार्रवाई या चेतावनी क्यों नहीं दी गई। न ही कंपनी पर समान दक्षता के एक्सपर्ट रखने का दबाव बनाया गया।

3. 3. वैसे ही पीडब्ल्यूडी अपने कामों में देरी को लेकर बदनाम है, ऐसे में एक ही कंपनी को प्रदेश भर में सवा सौ से ज्यादा कामों में कंसल्टेंसी देने की क्या वजह थी। जबकि टेंडर में दूसरी बड़ी कंपनियां भी शामिल थीं।

4. टेंडर प्रक्रिया के दौरान एलएन मालवीय इंफ्रा ने एक्सपर्ट पैनल में 9 कर्मचारियों के नाम दिए थे, लेकिन अधिकांश ने कंपनी के साथ कभी काम ही नहीं किया। तथ्य सामने आने पर भी ईसीई के सदस्यों ने पड़ताल क्यों नहीं की।

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